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नेहरू स्मारक विद्यालय इण्टर कॉलेज , सुराना, गाज़ियाबाद


विद्यालय का परिचय


तमसो मा ज्योतिर्गमय्

“सद्भाव पूर्ण परिवेश मिले,

हर प्रतिभा पुष्पित होती है।

इस उपवन का हर पुष्प खिले,

अभिलाषा अशेष हमारी है।

इसी भावना के परिपेक्ष में एक सफल एवं उन्नति शील राष्ट्र हेतु आदर्श विद्यालय एवं आदर्श शिक्षकों की अतिशय आवश्यकता होती है इसके साथ ही यह भी ध्यान देने योग्य है कि यदि आप एक आदमी या बालक को शिक्षित करते हैं तो मात्र एक आदमी को ही शिक्षित कर पाएंगे किंतु यदि आप एक बालिका को शिक्षित करते हैं तो एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित कर देंगे |

उपरोक्त विचार को ध्यान में रखते हुए स्वराष्ट्र भारतवर्ष को एक विकसित राज्य की श्रेणी में देखने की लालसा रखने वाले संपूर्ण समाज को बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा | सौभाग्य से हमारी सरकार व समाज इस दिशा में विशेष जागरूक है |

नेहरू स्मारक विद्यालय इण्टर कॉलेज सुराना की स्थापना सन 1966 में हुई थी | विद्यालय का प्रबंधन निज संस्थान द्वारा किया जाता रहा है । विद्यालय को सन 1966 में हाईस्कूल की मान्यता उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज से मिली। सन् 1973 में विद्यालय को इंटर कला वर्ग की मान्यता मिली एवं विज्ञान वर्ग की मान्यता सन 2010 में मिली | यह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मुरादनगर ब्लॉक में सुराना ग्राम में स्थित है। विद्यालय कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के ग्रेड हैं। विद्यालय सह-शैक्षिक है और इस विद्यालय में शिक्षा का माध्यम हिंदी है।

विद्यालय के विकास में 1966 ई0 से लेकर आज तक प्रबंध तंत्र में रहने वाले सभी महानुभावों ने विद्यालय की उन्नति के लिए विशेष प्रयास किए हैं जिनमें संस्थापक स्व० श्री बालू यादव एवं श्री विजय सिंह यादव पूर्व प्रधानाचार्य का विशेष योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता| सन 2019 में श्री महीपाल सिंह प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त हुए जिन्होंने विद्यालय के प्रगति पथ को आगे बढ़ाया और जिनके कार्यकाल में विद्यालय निरंतर नित नयी ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है |



विद्यालय भवन

विद्यालय में इंटरमीडिएट स्तर तक कला, विज्ञान तथा वाणिज्य वर्गो की शिक्षा का समुचित व्यवस्था है। 25 कक्षों का विशाल भवन, खेलकूद के लिए विशाल प्रांगण, आधुनिक उपकरणों तथा साज-सज्जा से युक्त भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान विषयों की प्रयोगशाला, भव्य पुस्तकालय एवं वाचनालय, विभिन्न विषयों के अध्यापन हेतु प्रथक-कक्ष, विस्तृत एवं सुरम्य क्रीडा स्थल सुनिर्मित प्रांगण इस संस्था की अपनी शोभा है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, प्रयोगशाला जनपद में अपना अतुल्य स्थान रखती है। विद्यालय का कलाकक्ष एवं संगीत कक्ष की अपनी अलग शोभा है |

सन 1965 से पूर्व सुराना में कक्षा 8 तक जूनियर स्कूल जिला परिषद द्वारा स्थापित था | कक्षा 8 के बाद इस क्षेत्र के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने दूर जाना पड़ता था जिस कारण बच्चों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता था | विशेषकर लड़कियों को | वैसे तो उन दिनों लड़कियों को कम ही अभिभावक पढ़ने स्कूल भेजते थे, जो थोड़ी बहुत पढ़ती थी तो वह भी कक्षा आठ के बाद विद्यालयी शिक्षा से वंचित ही रह जाती थी क्योंकि कोई भी अभिभावक गांव से बाहर दूर के विद्यालयों में अपनी लड़कियों को पढ़ाने नहीं भेजते थे | जिस प्रकार अपने भारत देश को अंग्रेजों से आजाद करने के लिए तत्कालिक नेताओं व युवकों ने कई आंदोलन किए थे तथा बहुत प्रयासों के बाद देश आजाद हुआ था उसी प्रकार क्षेत्र के बच्चों ने भी आंदोलन करके क्षेत्र की जनता को विद्यालय स्थापित करने हेतु जागरूक किया था | कक्षा आठ के बाद विद्यालय शिक्षा प्राप्त करने के लिए अधिकतर छात्रों को 4 किलोमीटर दूर पैदल ही इंटर कॉलेज, रावली में जाना पड़ता था जहां सुराना, सुठारी व कुनहेड़ा गांव के छात्रों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था जिस कारण तंग आकर इंटर कॉलेज रावली में पढ़ने वाले उक्त गांव के छात्रों ने मई-जून 1965 में जनता को जागरूक करने हेतु एक आंदोलन का आह्वान किया था कि कोई भी छात्र कक्षा 9 से 12 तक बाहर पढ़ने नहीं जाएगा |

छात्रों के उग्र आंदोलन व दृढ़ संकल्प को देखकर क्षेत्र की जनता में कुछ जागृति पैदा हुई कि सुराना में एक विद्यालय की स्थापना की जाए |

इस व्यापक आंदोलन और जन जागरण अभियान का सुखद फल नेहरू स्मारक विद्यालय इण्टर कॉलेज, सुराना रूपी के पौधे की स्थापना से हुआ |

सन 1965 में जिला परिषद से जूनियर स्कूल को अन्य जगह स्थापित करा कर उन्हीं छोटे कमरों में नेहरू स्मारक विद्यालय इण्टर कॉलेज हाई स्कूल सुराना की स्थापना की गई तथा उसमें झोपड़ी डालकर कक्षा 6 से 9 तक की कक्षाएं शुरू कर दी गई |

विद्यालय द्वारा निर्मित कार्यकारणी का मुख्य कार्य अपने गांव अपनी अपनों से चंदा इकट्ठा करके विद्यालय के निर्माण कार्य में विशेष योगदान करना व करवाना था | तीनों गांव से ₹100 प्रति घर चंदा लिया गया | बहुत गरीबी थी फिर भी लोगों ने जैसे तैसे करके चंदा दिया | कुछ तो ऐसे उदाहरण हैं कि लोगों ने अपने घर के बर्तन गिरवी रखकर विद्यालय में चंदा दिया | ऐसे बहुत से लोग थे जिन्होंने निशुल्क मजदूरी वह मेहनत की | ईटें एवं मिट्टी ढोई | उन लोगों ने विद्यालय रूपी वृक्ष लगाया जिसका आज हम मीठा एवं स्वादिष्ट फल खा रहे हैं आने वाली पीढ़ियों को उनका योगदान नहीं भूलना चाहिए |


“व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है वह जो सोचता है वही बन जाता है - महात्मा गांधी “


विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता हेतु 5 कमरे तथा अचल संपत्ति जैसे कृषि भूमि की आवश्यकता थी | 1 वर्ष के अंदर पांचों कमरे बनवाए गए तथा तत्कालीन ग्राम प्रधान श्री मुंशी लिखी राम के सहयोग से लगभग 70 बीघा भूमि का पट्टा विद्यालय के नाम परगना अधिकारी से स्वीकृत कराया गया | प्रधानाचार्य ने विद्यालय को 1966 में हाईस्कूल की मान्यता कराई तथा 1967 में विद्यालय को अनुदानित कर बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की |

विगत 30 वर्षों एवं विभिन्न प्रबन्धकों एवं प्रधानाचार्यों के कार्यकाल में विद्यालय में विकास के अनेक कार्य हुए जैसे इंटरमीडिएट की मान्यता, प्रयोगशालाओं का निर्माण, स्टाफ रूम का निर्माण विद्यालय के 3 दिशाओं में बरामदों का निर्माण, पर्याप्त कमरे, पर्याप्त फर्नीचर निर्माण, मुख्य द्वार, सभी कमरों में लोहे के दरवाजे एवं खिड़कियां का निर्माण संपूर्ण विद्यालय में बिजली फिटिंग सभी कमरों में पंखों की व्यवस्था, पूरे विद्यालय में सीसीटीवी कैमरे, चार हैंडपंप एवं दो समरसेबल, छात्र-छात्राओं तथा स्टाफ हेतु शौचालय, बागवानी द्वारा विद्यालय का सौंदर्यीकरण जिनके कार्यकाल में स्टाफ के सहयोग से काफी कार्य हुए |

वैसे तो क्षेत्र के बहुत लोगों ने विद्यालय की स्थापना हेतु छात्र आंदोलन का समर्थन किया लेकिन स्वर्गीय श्री बालू सिंह यादव पूर्व प्रबंधक स्वर्गीय श्री मोहन बंडवा स्वर्गीय पंडित रिया सिंह शर्मा स्वर्गीय श्री खुदी गोरे वाला एवं स्वर्गीय श्री शोभाराम सवारी का विशेष योगदान रहा | छात्रों के उग्र आंदोलन व दृढ़ संकल्प को देखकर क्षेत्र की जनता में कुछ जागृति पैदा हुई कि सुराना में एक विद्यालय की स्थापना की जाए स्वर्गीय श्री विजय सिंह यादव पूर्व प्रधानाचार्य थे वे अपने हिस्से पर सुराना में ही रहते थे तथा कांधला इंटर कॉलेज में अध्यापक थे उनकी योग्यता एवं कार्यशैली को देखते हुए क्षेत्र के अनेक लोगों ने उन से निवेदन किया कि वह विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद ग्रहण करके विद्यालय संचालित करने में अपना सहयोग करें उन्होंने क्षेत्र की शिक्षा हेतु निवेदन स्वीकार कर लिया तथा कांधला इंटर कॉलेज से त्यागपत्र देकर जून 1965 में ही कार्यभार संभाल लिया सुराना में एक बड़ी पंचायत हुई जिसमें समस्त अधिकार श्री विजय सिंह यादव और बाबूजी को दे दिए गए जून में ही उन्होंने अपने सहयोग हेतु स्वर्गीय श्री बीरबल सिंह उदय डा श्री चरण सिंह व श्री राम किशन सुधारी को नियुक्त किया सर्वप्रथम उन्होंने विद्यालय का विधान बनाया विद्यालय नियमानुसार 25 आदमियों को ₹101 का सदस्य बनाकर साधारण सभा कार्यकारिणी समिति बनाई उसी साधारण सभा में तदर्थ प्रबंध समिति बनाई |

6 वर्ष की सेवा के उपरांत 30 जून 1971 को बाबूजी सेवा निर्मित होकर बीमारियों के कारण अपने घर मेरठ चले गए सितंबर 1971 को श्री गजेंद्र सिंह यादव प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त हुए और उन्होंने भी विद्यालय का निर्माण कराया एवं जून 1973 में कला वर्ग में इंटरमीडिएट की मान्यता कराई | दिनांक 4-02- 1991 को तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री मुलायम सिंह यादव हिंडन नदी के पुल का शिलान्यास करने सुराना गांव आए तब उनसे इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग की मान्यता हेतु निवेदन किया गया | किंतु कुछ समस्याओं के कारण मान्यता नहीं मिली | जून 1998 में श्री सुरेश चंद प्रधानाचार्य नियुक्त हुए उनके कार्यकाल में एक बहुत बड़े हॉल का निर्माण विद्यालय में हुआ तथा विज्ञान वर्ग की मान्यता हेतु बहुत प्रयास किया गया परंतु सफलता नहीं मिली | सन 2003 में स्वर्गीय श्री हरि सिंह यादव भट्टे वाले स्वर्गीय श्री ज्ञान प्रकाश, स्वर्गीय श्री राज सिंह यादव तत्कालीन प्रबंधक तथा कई अन्य ने भी प्रयास किए लेकिन कई आपत्तियों के कारण मान्यता नहीं मिली | सितंबर 2009 में स्वर्गीय श्री हरि सिंह एवं श्री जय सिंह की प्रबंध समिति निर्वाचित हुई विज्ञान की मान्यता में लगाई गई आपत्तियों जैसे प्रबंध समिति का नवीनीकरण, विज्ञान प्रयोगशालाओं का निर्माण, भूकंप रोधी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि का निर्धारण करके अक्टूबर 2010 में विज्ञान वर्ग में मान्यता सेल्फ फाइनेंस के अंतर्गत प्राप्त हो गई आज क्षेत्र के बच्चे काला एवं विज्ञान वर्ग में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं | श्री जय सिंह प्रबंधक के कार्यकाल में विद्यालय में विकास के अनेक कार्य हुए जैसे इंटरमीडिएट की मान्यता प्रयोगशालाओं का निर्माण स्टाफ रूम विद्यालय के 3 दिशाओं में बरामदों का निर्माण पर्याप्त कमरे, पर्याप्त फर्नीचर निर्माण, मुख्य द्वार, सभी कमरों में लोहे के दरवाजे एवं खिड़कियां, संपूर्ण विद्यालय में बिजली फिटिंग, सभी कमरों में पंखों की व्यवस्था, पूरे विद्यालय में सीसीटीवी कैमरे, चार हैंडपंप, एवं दो समरसेबल, छात्र-छात्राओं तथा स्टाफ हेतु शौचालय का निर्माण कराया गया | समय समय पर बागवानी द्वारा विद्यालय का सौंदर्यीकरण कार्य जाता है |

विद्यालय सदैव से ही विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करता आया है | विद्यालय में ग्राम सुराना के साथ-साथ कुनहेड़ा, सुठारी नेकपुर, रावली, गयासपुर गढ़ी कुनहेड़ा, गौना, सहवानपुर आदि गांव के छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त करते हैं | विद्यालय के शिक्षक योग्य ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ था प्रतिभावान हैं |अनेक वर्षों से विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करके अनेक छात्र छात्राएं ऊंचे पदों पर आसीन हुए हैं | अनेक विद्यार्थी थल सेना, वायु सेना, जल सेना, पुलिस एवं अर्धसैनिक बल में देश की सेवा कर रहे हैं | कई विद्यार्थी अध्यापन का कार्य कर रहे हैं मैं आशा करता हूं कि क्षेत्र की आने वाली पीढ़ियां विद्यालय के विकास एवं शिक्षा तथा अनुशासन व्यवस्था में सहयोग प्रदान करती रहेंगी मेरा आशीर्वाद सदैव उनके साथ रहेगा |

विद्यालय का वर्तमान भवन आवश्यकता के अनुरुप पर्याप्त है | भवन पुराना होने के बाद भी अच्छी हालत में है | समय समय पर विद्यालय भवन कि मरम्मत व सुसज्जा का कार्य निरन्तर होता रहता है | प्रबंध सीमित के द्वारा भवनों के रख-रखाव के लिए निरन्तर प्रयास जारी रहते हैं |

विद्यालय के सभी कक्ष सीसीटीवी युक्त है । इसमें शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए 18 कक्ष हैं। सभी कक्षाओं की स्थिति ठीक है और छात्र छात्राओं के लिए फर्नीचर एवं पंखों का समुचित प्रबन्ध है । इसमें गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के लिए अन्य कमरे हैं। विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शिक्षिकों के लिए अलग कमरें है। विद्यालय में विद्युत एवं जेनरेटर की समुचित व्यवस्था है। विद्यालय में पेयजल का स्रोत RO है । विद्यालय में शौचालय का समुचित प्रबन्ध है । विद्यालय प्रांगण में ही खेलकूद का प्रबंध है । विद्यालय में एक पुस्तकालय है | इस पुस्तकालय में 1000 से भी अधिक पुस्तकें हैं। दिव्याङ्ग बच्चों के लिए कक्षाओं तक पहुंचने के लिए विद्यालय में रैंप की व्यवस्था है। विद्यालय में शिक्षण और सीखने के उद्देश्य से 10 कंप्यूटर हैं और सभी काम कर रहे हैं। विद्यालय में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था रहती है। विद्यालय में चारों तरफ हरियाली के कारण पूर्ण प्रदूषण मुक्त है | विद्यालय में छात्रों के खेलने के लिए बहुत बड़ा खेल का मैदान है जिसमें छात्र क्रीडा अध्यक्ष के निर्देशानुसार समय-समय पर खेलों में प्रतिभाग करते रहते हैं | विद्यालय में प्रधानाचार्य कार्यालय एवं लिपिक कार्यालय भी हैं |

श्री महीपाल सिंह (प्रधानाचार्य) सभी शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का सहयोग लेकर विद्यालय को शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं प्रधानाचार्य जी ने समस्त गतिविधियों से संबंधित शिक्षकों की समितियां बनाकर प्रत्येक कार्य में पारदर्शिता रखने का प्रयत्न किया है |

विद्यालय के समस्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी पूर्ण निष्ठा एवं इमानदारी से विद्यालय के प्रति अपने कर्तव्य एवं दायित्व को श्री महीपाल सिंह (प्रधानाचार्य) के नेतृत्व में बड़े ही अच्छी तरीके से निभा रहे हैं|